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अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे से पृथ्वी के चारों ओर बन सकता है शनि जैसा छल्ला, वैज्ञानिकों की चेतावनी

वॉशिंगटन अंतरिक्ष में लगातार बढ़ते सैटेलाइट्स के कचरे के कारण वैज्ञानिक टेंशन में हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इन्हें नहीं रोका गया तो...



वॉशिंगटन

अंतरिक्ष में लगातार बढ़ते सैटेलाइट्स के कचरे के कारण वैज्ञानिक टेंशन में हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इन्हें नहीं रोका गया तो अंतरिक्ष कचरे से पृथ्वी के चारों ओर शनि जैसा छल्ला बन सकता है। वर्तमान में अंतरिक्ष मलबे के 1 करोड़ 70 लाख से अधिक टुकड़े तैर रहे हैं। इनमें प्राकृतिक उल्कापिंड, कृत्रिम वस्तुओं के टूटे हुए टुकड़े और निष्क्रिय उपग्रह शामिल हैं।

पृथ्वी के चारों ओर बनाना पड़ेगा शनि जैसा छल्ला

अमेरिका के यूटा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया है कि आज अंतरिक्ष इतना कबाड़ से भर गया है कि हमें मैग्नेट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पृथ्वी के चारों ओर शनि जैसा छल्ला बनाना पड़ेगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो लगातार बढ़ती संख्या के कारण इनके दूसरे अंतरिक्षयान और सैटेलाइटों से टकराने का खतरा भी बढ़ जाएगा। इनमें से कुछ टुकड़े तो मात्र 10 सेंटीमीटर जितने बड़े हैं। ये गोली से भी तेज रफ्तार से किसी सैटेलाइट से टकरा सकते हैं।

कितना खतरनाक है अंतरिक्ष मलबा

अंतरिक्ष का मलबा उतना ही हानिकारक है, जितना धरती पर मौजूद प्रदूषण। यह अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष मिशनों के लिए बड़ा संकट है। पिछले एक दशक में अंतरिक्ष मलबे में 7,500 मीट्रिक टन की बढ़ोत्तरी हुई है। यह अंतरिक्ष यात्रियों, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले सैकड़ों सैटेलाइटों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।

पहला अंतरिक्ष कचरे को जानिए

अंतरिक्ष के पहले कबाड़ में 1963 में अमेरिकी सेना द्वारा भेजा गया तांबे के सुईयों का गुच्छा था। दरअसल, अमेरिकी सेना को कम्यूनिकेशन में हो रही परेशानी का पता लगाया। जिसके बाद उन्होंने इसे सही करने के लिए आयनमंडल के विकल्प के रूप में लाखों तांबे की सुइयों को अंतरिक्ष में भेजा। इसे प्रोजेक्ट स्पेस नीडल या प्रोजेक्ट वेस्ट फोर्ड कहा जाता है।

60 साल से बढ़ता ही जा रहा अंतरिक्ष कचरा

पिछले 60 वर्षों में जैसे-जैसे विभिन्न देशों की अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियां बढ़ी हैं, वहां धरती से पहुंचने वाला कचरा बढ़ता ही जा रहा है। जुलाई 2016 में अमेरिकी स्ट्रैटिजिक कमान ने निकट अंतरिक्ष में 17,852 कृत्रिम वस्तुएं दर्ज की थीं, जिनमें 1419 कृत्रिम उपग्रह शामिल थे। मगर यह तो सिर्फ बड़े पिंडों की बात थी। इससे पहले 2013 की एक स्टडी में 1 सेंटीमीटर से कम बड़े 17 करोड़ कचरे पाए गए थे और 1 से 10 सेंटीमीटर के बीच आकार वाले कचरों की संख्या 6,70,000 पाई गई थी। इससे बड़े आकार वाले कचरों की अनुमानित संख्या 29,000 बताई गई थी।

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