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देश की राजधानी में पति-पत्नी मिलकर छत्तीसगढ़ी की कला संस्कृति की घोल रहे मिठास

  बिलासपुर । शहर की नीलू गौरव शरण देश की राजधानी में छत्तीसगढ़ी भाषा व संस्कृति की मिठास घोल रही हैं। वह आईटी कंपनी में काम करने के साथ-सा...

  बिलासपुर । शहर की नीलू गौरव शरण देश की राजधानी में छत्तीसगढ़ी भाषा व संस्कृति की मिठास घोल रही हैं। वह आईटी कंपनी में काम करने के साथ-साथ ड्यूटी के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ी गीत और कहानी सुनाकर प्रदेश की भाषा का प्रचार-प्रसार करती है। इसके अलावा विशेष अवसरों पर छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाकर कंपनी के कर्मचारियों को खिलाती भी है। इस दौरान वे कर्मचारियों को इसके महत्व के बारे में अवगत करा रही है। बिलासपुर की नीलू गौरव शरण अपने पति के साथ नई दिल्ली में रहती है। प्रदेश की राजभाषा में आईटी प्रोफेशनल कंपनी सहित अन्य जगहों में यहां की कला संस्कृति सहित खान पान को अन्य राज्यों के लोगों के बीच पहुंचा रही है। बिलासपुर नगर की नीलू श्रीवास्तव और उनके पति गौरव शरण दोनों ही आईटी प्रोफेशनल है। दोनों दिल्ली में रहते हैं और आईटी प्रोफेशनल होने के कारण इनकी हिंदी और इंग्लिश दोनों अच्छी है।  नीलू समय-समय पर आईटी प्रोफेशनल और अपनी रेजिडेंसी कैंपस में दूसरे राज्य के लोगों के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा के संबंध में जानकारी देती हैं। नीलू गौरव शरण का कहना है कि घर से बाहर रहकर अपने छत्तीसगढ़ को याद करने का सबसे अच्छा तरीका है, उचित अवसर पर माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा में संवाद करना। मजे की बात यह है कि उनके पति गौरव शरण सीतामढ़ी बिहार से वास्ता रखते हैं। वे पिकनिक अथवा ऐसे अवसरों पर अपने मित्रों के साथ सीतामढ़ी बिहार की मैथिली भाषा में संवाद करते हैं और दोनों पति-पत्नी एक दूसरे को अपने-अपने मूल राज्यों की भाषा के बारे में बात कर भाषाएं, संस्कृति का आदान-प्रदान भी कर रहे हैं। नीलू शरण विशेष अवसरों पर छत्तीसगढ़ का राज्य गीत अरपा पैरी के धार गाकर भी सुनाती हैं। दोनों पति-पत्नी अपने-अपने राज्यों की संस्कृतियों के आधार पर भारतीय संस्कृति को अधिक से अधिक प्रचार करते हैं। गौरव शरण को अपने कंपनी में सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान बेस्ट एक्टर के अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। नीलू ने बताया कि उनकी सोसाइटी रेजीडेंसी में बहुत से परिवार बिलासपुर, रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के अन्य नगरों से हैं, जिनके बीच में समय-समय पर बैठक भी होती है और उत्सव मनाते हुए यह सभी लोग आपस में ठेठ छत्तीसगढ़ी भाषा में बातचीत भी करते हैं।

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