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पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में शैक्षणिक कैलेंडर का पालन नहीं हो रहा

  रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में शैक्षणिक कैलेंडर का पालन नहीं हो रहा है। उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से जारी शैक्षणिक कैलेंडर...

 

रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में शैक्षणिक कैलेंडर का पालन नहीं हो रहा है। उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से जारी शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार वार्षिक परीक्षा के लिए 180 दिन कक्षाएं लगाना जरूरी है। लेकिन यहां पर 180 दिन कक्षाएं लगाए बिना वार्षिक परीक्षा ली जा रही है। जिसका असर परीक्षा परिणाम में पड़ता है। वार्षिक परीक्षा में इस वर्ष विश्वविद्यालय की किसी भी कक्षा में 45 प्रतिशत से ज्यादा छात्र उत्तीर्ण नहीं हो पाए हैं। बीसीए जैसी कक्षाओं में महज 20.49 प्रतिशत छात्र ही उत्तीर्ण हुए हैं। शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए जारी कैलेंडर के मुताबिक जुलाई तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जाना चाहिए। कुलपति की विशेष अनुमति से 14 अगस्त तक प्रवेश दिया जा सकता है। लेकिन कालेजों में छात्रों को 29 सितंबर तक प्रवेश दिए गए। इस लिहाज से 45 दिन की देरी तक प्रवेश दिए गए। सितंबर तक प्रवेश होने के कारण 180 दिनों का लक्ष्य पूरा करने के लिए वार्षिक परीक्षाएं अप्रैल महीने में शुरू होनी चाहिए। विश्वविद्यालय में हुए प्रवेश के अनुसार छात्रों को सिर्फ पांच महीने पढ़ने का समय मिलेगा।इन्हीं पांच महीनों में दशहरा, दीपावली, शीतकालीन अवकाश समेत रविवार और जयंती की छुट्टियां भी है। एक शैक्षणिक सत्र में कालेजों में छात्रों को पढ़ने के लिए 100 दिन भी नहीं मिलते हैं। पीआरएसयू के अलावा प्रदेश के लगभग सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में यही स्थिति है। कहीं पर भी 180 दिनों तक पढ़ाई होने का लक्ष्य पूरा नहीं होता है। कालेजों में ज्यादा समय तक पढ़ाई नहीं होने की वजह से विश्वविद्यालय का परिणाम प्रभावित होता है। इस वर्ष बीए प्रथम वर्ष में महज 26.67 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए है। बीए प्रथम वर्ष में 23 हजार से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी थी, जिसमें 11 हजार से ज्यादा फेल हो गए थे। पूरक नियमों में हुए बदलाव के कारण बड़ी संख्या में छात्रों को पूरक की पात्रता मिल गई। पूरक परीक्षा के बाद बीए में लगभग 55 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हो पाए है।इसके अलावा बीएससी 37.76 प्रतिशत, बीकाम 44.95 प्रतिशत और बीसीए में महज 20.49 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए हैं।पूरक परीक्षाओं के बाद परिणाम में सुधार हुआ है। विश्वविद्यालय की पूरक परीक्षाओं में देरी की वजह से कालेजों में पढ़ाई प्रभावित हुई है। पहले एक विषय में फेल छात्र को पूरक माना जाता था।पूरक छात्र को अगली कक्षा में प्रवेश मिलता था, लेकिन दो विषयों में फेल छात्र फेल ही माना जाता था। लेकिन इस वर्ष दो विषयों में फेल छात्र को भी पूरक की पात्रता दी गई। ये नियम अक्टूबर महीने में बना। इस लिहाज से दो विषयों में फेल छात्र अक्टूबर तक पिछली कक्षा में ही पढ़ाई करते रहे। पूरक परीक्षा में पास होने के बाद अगली कक्षा में पढ़ने के लिए उन्हें सिर्फ चार महीने ही पढ़ाई करने को मिलेगा। स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेश में हर वर्ष देरी हाेती है। बारहवीं कक्षा का समय से परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद भी प्रवेश में देरी होती है।उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से जारी कैलेंडर के अनुसार प्रवेश लेने के अंतिम समय तक कालेजों में सिर्फ 40 से 50 प्रतिशत तक ही प्रवेश हो पाते हैं।

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