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Wednesday, June 18

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प्रतापपुर में हाथी के हमले में भाजपा मंडल उपाध्यक्ष के बड़े पिता की मौत

  प्रतापपुर। बुधवार को वन परिक्षेत्र घुई के वन क्षेत्र रेवटी में हाथी के हमले से भाजपा मंडल उपाध्यक्ष पप्पू यादव के बड़े पिता बोधन यादव की ...

 

प्रतापपुर। बुधवार को वन परिक्षेत्र घुई के वन क्षेत्र रेवटी में हाथी के हमले से भाजपा मंडल उपाध्यक्ष पप्पू यादव के बड़े पिता बोधन यादव की मौत हो गई। तीन दिन के भीतर हाथी के हमले से दो लोगों की मौत हो चुकी है।सोमवार को ही वन परिक्षेत्र प्रतापपुर में विचरण कर रहे 27 हाथियों के दल के एक हाथी ने ग्राम बैकोना में एक युवक को गन्ने के खेत में पटक कर मार डाला था। जंगली हाथियों के स्वच्छंद विचरण से प्रभावित क्षेत्र में भय का माहौल है। जानकारी के अनुसार वन क्षेत्र रेवटी के चांचीडाड़ यादवपारा निवासी व प्रतापपुर भाजपा मंडल के उपाध्यक्ष पप्पू यादव के बड़े पिताजी बोधन यादव पिता मनु यादव (65) सुबह पांच बजे के लगभग कुछ दूरी पर स्थित ग्राम गोवर्धनपुर के झोर जंगल में स्थित नदी में शौच के लिए गए थे। इसी दौरान जब वे शौच कर वापस आ रहे थे तो उनका सामना बलरामपुर की ओर से पहुंचे 33 हाथियों के दल के एक हाथी से हो गया। अचानक हाथी को सामने देखकर बोधन यादव अपनी जान बचाने के लिए भागे। पर हाथी ने उनको दौड़ाकर अपने चपेट में ले लिया और उन्हें अपनी सूंड़ में लपेटकर जमीन पर पटकते हुए पैरों से कुचल दिया। जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम घटना से संबंधित जरुरी औपचारिकताएं पूरी करने में लगी हुई है। बताया जा रहा है कि इस हाथी के अलावा दल से अलग होकर कुछ अन्य हाथी भी इधर से उधर हो गए थे। इनमें से कुछ ग्रामीणों की बस्ती में भी प्रवेश कर ग‌ए थे। मौके पर मौजूद वन विभाग की टीम ने दल से अलग हुए हाथियों को कड़ी मशक्कत के बाद फिर से दल में मिला दिया है। तथा दल को गोरगी व धुमाडांड़ के बीच में मौजूद ढलमेला जंगल में खदेड़ दिया है। हाथियों के इस दल का एक वीडियो भी इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हो रहा है। इधर बड़ी संख्या में क्षेत्र के भीतर विचरण कर रहे हाथियों के हमले में रोजाना हो रही जनहानि से ग्रामीण काफी भयभीत स्थिति में हैं। इधर वन विभाग भी हाथियों की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखते हुए जनहानि को रोकने का पूरा प्रयास कर रहा है। फिर भी ग्रामीणों की रोजाना जान ले रहे व उनकी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे जंगली हाथियों को रोकना मुश्किल होता जा रहा है। इस दिशा में शासन को कोई ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है अन्यथा हाथियों के हमले में हो रही जनहानि का सिलसिला रुकने वाला नहीं है।

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