देहरादून । उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों की अधिकता वाली लोकसभा सीट नैनीताल और हरिद्वार में हमेशा अधिक मतदान होता आया है। यह ट्रेंड इस ...
देहरादून । उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों की अधिकता वाली लोकसभा सीट नैनीताल और हरिद्वार में हमेशा अधिक मतदान होता आया है। यह ट्रेंड इस लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिला। उत्तराखंड लोकसभा चुनाव 2024 में 35 लाख मतदाताओं ने वोट नहीं दिया। पिछली बार हरिद्वार में सर्वाधिक 69.24 प्रतिशत मतदान हुआ था, इस बार यहां आंकड़ा 62.36 तक ही पहुंच पाया है। नैनीताल लोकसभा सीट पिछली बार 66.39 प्रतिशत मत के साथ दूसरे स्थान पर रही थी, लेकिन इस बार नैनीताल सीट पर 61.35 प्रतिशत मतदान हुआ है। टिहरी लोकसभा सीट 52.57 प्रतिशत मत के साथ इस बार भी तीसरे स्थान पर है, जबकि गढ़वाल 50.84 प्रतिशत मत के साथ चौथे स्थान पर रही है। अल्मोड़ा में महज 46.94 प्रतिशत मतदान हुआ जो, 2009 में हुए नए परिसीमन के बाद का सबसे कम आंकड़ा है।
35 लाख लोगों ने नहीं दिया वोट
उत्तराखंड
में इस लोकसभा चुनाव में करीब 35 लाख पंजीकृत मतदाताओं ने अपने मताधिकार
का प्रयोग नहीं किया है। इस कारण पिछली बार की तुलना में इस बार कुल मतदान
प्रतिशत पांच से छह प्रतिशत तक कम रह सकता है। एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक
अनूप नौटियाल के मुताबिक राज्य में इस बार करीब 35 लाख लोगों ने अपने
मताधिकार का प्रयोग नहीं किया है। इस तरह उत्तराखंड ने परंपरागत रूप से कम
मतदान वाले राज्य के रूप में अपनी पहचान कायम रखी है।नैनीताल सीट पर 61.35
फीसदी मतदान हुआ है, जबकि पिछली बार 66.39 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस तरह मत
प्रतिशत में गिरावट दर्ज हुई है। पिछली बार नैनीताल सीट पर भाजपा ने
सर्वाधिक 3.39 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
75 मतदान का लक्ष्य था
एसडीसी
फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल के मुताबिक इस बार परंपरागत रूप से
अधिक मतदान वाले जिलों हरिद्वार और यूएसनगर में भी अपेक्षाकृत कम मतदान हुआ
है। इसके पीछे पलायन, शादियों की तिथियां और मतदाताओं का सरकार के साथ ही
राजनैतिक दलों के प्रति मोहभंग एक वजह हो सकती है। इस बार निर्वाचन आयोग 75
प्रतिशत तक मतदान का दावा कर रहा था, इस लिहाज से मतदान प्रतिशत में बड़ी
गिरावट हुई है।
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