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वैज्ञानिक अनुसंधान से होम्योपैथी की स्वीकार्यता बढ़ेगी: मुर्मु

 v  नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान और कुशलता से होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की स्वीकार्यता बढ...

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नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान और कुशलता से होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की स्वीकार्यता बढ़ेगी और‌ यह युवाओं के बीच लोकप्रिय होगी। श्रीमती मुर्मु ने विश्व होम्योपैथी दिवस पर यहां आयोजित होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में अनुसंधान को प्रोत्साहन देने वाले एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए आज कहा कि कई व्यक्ति को होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से बहुत लाभ हुआ है। लेकिन वैज्ञानिक समुदाय के भीतर, ऐसे अनुभवों को केवल तभी स्वीकार किया जा सकता है जब तथ्यों और विश्लेषण से पर्याप्त संख्या में अनुभव प्रस्तुत किए जाएं। इसलिए होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे लोगों में उपचार की इस पद्धति के प्रति विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक वैधता प्रामाणिकता का आधार बनती है और प्रामाणिकता के साथ स्वीकार्यता और लोकप्रियता दोनों बढ़ेगी। अनुसंधान को सशक्त बनाने और दक्षता बढ़ाने के प्रयास होम्योपैथी को बढ़ावा देने में लाभकारी होंगे। इससे डॉक्टरों, रोगियों, दवा निर्माताओं और शोधकर्ताओं सहित होम्योपैथी से जुड़े सभी लोगों को लाभ होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि होम्योपैथी की शिक्षा प्रणाली में निरंतर सुधार इस पद्धति को युवा छात्रों के लिए और अधिक आकर्षक बनाएगा। होम्योपैथी के उज्ज्वल भविष्य के लिए बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी आवश्यक है।  केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) का यह सम्मेलन ‘अनुसंधान को सशक्त बनाना, दक्षता बढ़ाना’ दो दिन‌ चलेगा। सम्मेलन में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, सीसीआरएच के महानिदेशक डॉ. सुभाष कौशिक,पद्म भूषण और पद्मश्री वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा, पद्मश्री डॉ. एचआर नागेन्द्र , होम्योपैथी क्षेत्र के पद्म पुरस्कार विजेता पद्मश्री डॉ. वीके गुप्ता, पद्मश्री डॉ. मुकेश बत्रा, पद्मश्री डॉ. कल्याण बनर्जी ,पद्मश्री डॉ. आरएस पारीक ‌और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अध्यक्ष डॉ. अनिल खुराना उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में नीदरलैंड, स्पेन, कोलंबिया, कनाडा और बंगलादेश के आठ प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। आयोजन के दौरान, सीसीआरएच के 17 प्रकाशन जारी किए गए।

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