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Monday, August 25

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छत्तीसगढ़ के 12 कारोबारीयो पर गैंग की बुरी नजरे

   रायपुर। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के करीबी अमन साहू को रायपुर पुलिस ने पांच दिन की रिमांड पर लिया है। पूछताछ में कई अहम राजफाश हो रहे हैं...

 

 रायपुर। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के करीबी अमन साहू को रायपुर पुलिस ने पांच दिन की रिमांड पर लिया है। पूछताछ में कई अहम राजफाश हो रहे हैं। तेलीबांधा और छत्तीसगढ़ के लगभग 12 कारोबारी गैंगस्टर के निशाने पर हैं। अब पुलिस उनके बारे में भी जानकारी जुटा रही है। बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा और रायपुर के कोयला कारोबारी और ठेकेदार निशाने पर हैं। कई पर लेवी वसूलने के लिए गोलीबारी भी की गई है। झारखंड में जिनका काम चल रहा है, उनसे रंगदारी वसूलने के लिए लगातार फोन कर धमकी दी जा रही।

लॉरेंस बिश्नोई और अमन साहू गैंग के जेल में बंद होने के बाद बाहर का पूरा काम कनाडा में बैठकर मयंक सिंह ही संभाल रहा है। लॉरेंस बिश्नोई के निर्देश के बाद वह फिरौती, हत्या, अपहरण जैसी वारदात के लिए गुर्गे उपलब्ध करवाता है। वहीं, अमन साहू का फेसबुक अकाउंट सुनील मीणा नाम का व्यक्ति मलेशिया से चला रहा।

कनाडा में बैठे मयंक सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट में अमन साहू को रायपुर क्राइम ब्रांच में लाने के दौरान की फोटो शेयर की गई है। इसके अलावा अमन का फेसबुक अकाउंट मलेशिया से सुनील राणा चला रहा। उसके द्वारा भी दूसरी एक फोटो अमन की शेयर की गई है। दोनों फोटो में जय श्री राम लिखा गया है।
पुलिस के पास पहुंच रही शिकायतें

मिली जानकारी के अनुसार अमन साहू के रायपुर लाए जाने के बाद यहां के बड़े कारोबारियों ने लिखित में शिकायत की है। उनके पास भी गैंग के नाम से रंगदारी की मांग की गई है। कुछ दिन पहले बिलासपुर के एक कारोबारी ने थाने में शिकायत की थी। रंगदारी नहीं देने वालों को जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है।

17 साल की उम्र में ही अमन साहू ने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। अमन (29) मूलत: रांची के छोटे से गांव मतबे का रहने वाला है। सबसे पहले वह नक्सलियों के संपर्क में आया और उनके लिए काम करने लगा। वह हथियार सप्लाई करने का काम करता था। वह उनके लिए शहरी नेटवर्क का काम करता था।

कुछ समय वह जंगल में हथियार लेकर घूमा। पहली बार उसने 2012 में नक्सलियों की ओर से बंदूक चलायी और हार्डकोर नक्सली बन गया। इस दौरान वह मयंक सिंह, सुनील मीणा और सुजीत सिंह के संपर्क में आया। तीनों 2013 में नक्सली बेड़े से भागे और अपना गैंग बनाया।

कुछ दिनों बाद ही वे बिल्डरों और बड़े ठेकेदारों से रंगदारी वसूलने लगे। इस बीच पुलिस की छापेमारी से बचने मयंक सिंह मलेशिया शिफ्ट हो गया। सुनील मीणा भी सिंगापुर में और सुजीत पुर्तगाल चला गया है। तीनों विदेश से गैंग को ऑपरेट कर रहे हैं।

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