कोलकाता । केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की साइबर अपराध शाखा ने डिजिटल रूप से झूठे वारंट तैयार करके निर्दोष लोगों को ठगने के लिए अंतररा...
कोलकाता
। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की साइबर अपराध शाखा ने डिजिटल रूप से
झूठे वारंट तैयार करके निर्दोष लोगों को ठगने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठित
साइबर अपराध में संलिप्तता के आरोप में चार सरगनाओं को गिरफ्तार किया है।
चक्र-5 अभियान के तहत के उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम
बंगाल में 12 स्थानों पर व्यापक तलाशी अभियान के बाद ये गिरफ्तारियां की
गईं। राजस्थान सरकार द्वारा भारत की प्रमुख जांच एजेंसी से अपील किए जाने
के बाद यह गिरफ्तारियां हुई हैं । गिरफ्तार आरोपियों में से दो मुंबई और दो
मुरादाबाद से हैं, जिनकी कथित देशव्यापी अपराध में शामिल होने की
प्रवृत्ति सामने आयी है। सीबीआई ने कहा, “ सीबीआई डिजिटल गिरफ्तारी मामलों
की जांच में बहुआयामी दृष्टिकोण अपना रही है, जिसमें ऐसे अपराधों के पीछे
के बुनियादी ढांचे को खत्म करने पर विशेष जोर दिया गया है।” हाल के महीनों
में, सीबीआई ने डिजिटल गिरफ्तारी के कई मामले दर्ज किए हैं। राजस्थान सरकार
के अनुरोध पर सीबीआई ने डिजिटल गिरफ्तारी का मामला अपने हाथ में ले लिया।
इससे पहले मामला साइबर थाना झुंझुनू में दर्ज किया गया था, जहां साइबर
अपराधियों दने पीड़ित को विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कर्मियों के
रूप में तीन महीने से अधिक समय तक डिजिटल रूप से हिरासत में रखा था। सीबीआई
ने पुष्टि की कि इस अवधि के दौरान पीड़ित से 42 बार 7.67 करोड़ रुपये की
जबरन वसूली की गई।” मामले को अपने हाथ में लेने के बाद, सीबीआई ने व्यापक
डेटा विश्लेषण और प्रोफाइलिंग से जुड़ी गहन जांच की, क्योंकि एजेंसी ने
अपराधियों की पहचान करने के लिए उन्नत जांच तकनीकों का इस्तेमाल किया। जांच
के दौरान प्राप्त सुरागों के आधार पर सीबीआई ने हाल ही में उत्तर प्रदेश
के मुरादाबाद और संभल, मुंबई, जयपुर और पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर (नादिया
जिले) में 12 स्थानों पर व्यापक तलाशी ली, जिससे इस अत्यधिक संगठित अपराध
सिंडिकेट में शामिल चार व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई। सीबीआई ने बताया कि
इन तलाशियों के दौरान बैंक खाते का विवरण, डेबिट कार्ड, चेक बुक, जमा पर्ची
और डिजिटल डिवाइस/साक्ष्य सहित पर्याप्त सामग्री बरामद की गई। गिरफ्तार
व्यक्तियों को सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया और उन्हें पांच दिनों
की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।गौरतलब है कि डिजिटल गिरफ्तारी एक
धोखाधड़ी वाली रणनीति है जिसका इस्तेमाल साइबर अपराधी ,लोगों पर कानून
तोड़ने का झूठा आरोप लगाने के लिए करते हैं। ये अपराधी कस्टम, आयकर विभाग
या यहां तक की केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे संगठनों के अधिकारियों के
रूप में पेश आते हैं।
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