रायपुर । पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ शैलेंद्र पटेल को हाईकोर्ट के फैसले के बाद हटा दिया गया है। फार्मेसी के प्रोफेस...
रायपुर
। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ शैलेंद्र पटेल को
हाईकोर्ट के फैसले के बाद हटा दिया गया है। फार्मेसी के प्रोफेसर डॉ अम्बर
व्यास को अब यूनिवर्सिटी के नए कुल सचिव होंगे। इस संबंध में 28 मई देर रात
उच्च शिक्षा विभाग की ओर से आदेश भी जारी डॉ पटेल साल 2022 में कुलसचिव
बने थे। लेकिन तब से ही उनकी नियुक्ति को लेकर लगातार सवाल खड़े होते हैं।
कोर्ट के फैसले से पहले तीन अलग-अलग जांच में भी वो अयोग्य पाए गए थे।
बावजूद इसके वो पिछले तीन सालों से यूनिवर्सिटी से जुड़े फैसले ले रहे थे।
डॉ पटेल के खिलाफ साल 2022 उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ने जांच समिति बनाई
थी। पांच महीनों की जांच के बाद फैसला आया। 9 सितंबर 2022 को बताया गया कि
7 बिंदुओं पर डॉ पटेल के अनुभव संबंधित दस्तावेज मान्य नहीं हैं। फरवरी
2022 में लोक सेवा आयोग ने चयन सूची जारी की थी, इसके आधार पर डॉ पटेल को
कुलसचिव बनाया गया था। दस्तावेज सत्यापन के समय भी आयुक्त उच्च शिक्षा ने
अयोग्य बताया था। तब चार लोगों की टीम ने मामले की जांच की थी। इसी मामले
में 25 अप्रैल 2023 को तीन प्रिंसिपल की एक और जांच समिति बनाई गई। इसकी
रिपोर्ट 6 जून 2023 को आई। तीनों ने 5 प्वाइंट पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।
रिपोर्ट में बताया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य विश्वविद्यालय सेवा अधिनियम के
तहत तय किए गए मानक पर पटेल खरे नहीं उतरते। साल 2022 में डॉ पटेल की
नियुक्ति को लेकर एक FIR भी दर्ज कराई गई थी। जिसमें शिकायतकर्ता राहुल
गिरी गोस्वामी ने पटेल की योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे।
डॉ पटेल ने खुद को डिफेंड करते हुए तीन याचिका कोर्ट में लगाई। तीन साल तक
पूरे मामले में सुनवाई चलती रही। आखिरी सुनवाई 6 मार्च 2025 को हाई कोर्ट
में हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 22 मई को
कोर्ट ने फैसला सुनाया, डॉ पटेल की तीनों याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर
दिया। पटेल नियुक्ति की नियुक्ति हमेशा से विवादों से घिरी रही। डॉ पटेल को
करीब 10 साल पहले, 2015–16 के दरम्यान बस्तर विश्वविद्यालय में डिप्टी
रजिस्ट्रार के पद पर पोस्टिंग दी गई थी। उस वक्त भी डिप्टी रजिस्ट्रार पद
के पात्रता नियमों को पूरा नहीं करने का आरोप डॉ पटेल पर लगा था। इसकी
लिखित शिकायत भी विभाग के तत्कालीन अफसरों से की गई थी।
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