रायपुर । छत्तीसगढ़ डीएमएफ घोटाले में ACB-EOW ने कोरबा से 4 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। जिसमें तत्कालीन डीएमएफ के नोडल अधिकारी समेत ...
रायपुर
। छत्तीसगढ़ डीएमएफ घोटाले में ACB-EOW ने कोरबा से 4 अधिकारियों को
गिरफ्तार किया है। जिसमें तत्कालीन डीएमएफ के नोडल अधिकारी समेत 3 तत्कालीन
जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) शामिल है। शुक्रवार को सभी को रायपुर
के स्पेशल कोर्ट में सुनवाई के बाद 13 मई तक जानकारी के मुताबिक, EOW के
अधिकारी चारों आरोपियों को एक साथ बैठाकर पूछताछ कर रही है। गिरफ्तार
आरोपियों में कोरबा डीएमएफटी के तत्कालीन नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर,
तत्कालीन जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी भूनेश्वर सिह राज, राधेश्याम मिर्झा
और वीरेंद्र कुमार राठौर शामिल है।
DMF घोटाला क्या है ?
प्रवर्तन
निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज
किया है। केस में यह तथ्य निकाल कर सामने आए हैं कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग
फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक
अनियमितता पाई गई। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। ED की जांच
के बाद अब EOW की टीम अपनी जांच तेज कर दी है।
90 करोड़ का घोटाला
ED
की जांच ने DMF घोटाले के तौर-तरीकों का खुलासा किया है। इसमें यह बात
सामने आई है कि ठेकेदारों के बैंक खाते में जमा की गई रुपए का बड़ा हिस्सा
ठेकेदारों ने सीधे कैश में निकाल लिया है। जांच के दौरान ED ने ठेकेदारों,
सरकारी और उनके सहयोगियों के अगल-अगल ठिकानों पर रेड मारी थी।
42 प्रतिशत तक दिया गया कमीशन
ED
की जांच में पता चला कि, 2021-22 और 2022-23 में मनोज कुमार द्विवेदी ने
निलंबित IAS रानू साहू और अन्य अधिकारियों से मिलीभगत की। अपने NGO उदगम
सेवा समिति के नाम पर कई DMF ठेके हासिल किए थे। अधिकारियों को टेंडर की
राशि का 42% तक कमीशन दिया था।
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