कोंडागांव. पीएटी परीक्षा में इस बार जवाबदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते चार छात्र परीक्षा देने से वंचित हो गए. अगर समय रहते इनको सही म...
कोंडागांव.
पीएटी परीक्षा में इस बार जवाबदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते चार
छात्र परीक्षा देने से वंचित हो गए. अगर समय रहते इनको सही मार्गदर्शन
प्रवेश द्वार से ही मिल गया होता तो ये छात्र भी परीक्षा दे पाते मगर
जिन्हें परीक्षा संचालन का जिम्मा प्रशासन ने दिया था उनकी एक चूक से इनका
साल बर्बाद हो गया.
दरअसल कोंडागांव जिले के मालगांव के युवक खेमलाल
मौर्य बाइक से परीक्षा देने कोंडागांव आ रहा था, इस दौरान उसकी बाइक
दुर्घटनाग्रस्त हो गई और वह घायल हो गया. उन्हें हल्की छोटे भी आई फिर भी
वह समय से पहले परीक्षा केंद्र पहुंच चुका था, जहां उसे किसी भी तरह का
इलाज नहीं मिला. उन्हें इलाज करवाने अस्पताल भेज दिया गया.
पीएटी की
परीक्षा देने आई दीपिका मरकाम ने बताया कि मुझे पूरी उम्मीद थी कि मैं यह
परीक्षा पास कर लूंगी. मुझे सारे कागज चेक कर गेट से अंदर जाने दिया.
परीक्षा हाल में बैठा भी दिया. 8:30 बजे मैं पेपर हाल में बैठ गई थी फिर एक
अधिकारी अचानक से आया और ओरिजिनल आधार कार्ड लाओ कहकर मुझे निकाल दिया.
मुझे उसी वक्त मेन गेट पर अगर बता दिया होता तो मैं ओरिजिनल आधार कार्ड
लेकर समय पर पहुंच जाती. यह स्थिति निर्मित नहीं होती. मुझे आधे घंटे तक
अंदर बैठाकर रखा गया.
इस परीक्षा में जिम्मेदार अफसरों की बड़ी
लापरवाही भी सामने आई है, जहां हजारों छात्र-छात्राएं परीक्षा दे रहे हैं
वहां मेडिकल की टीम तक मौजूद नहीं है, ना ही किसी तरह की उपचार किट रखा गया
है, जबकि परीक्षा केंद्रों पर स्वास्थ्य विभाग की टीम व प्राथमिक उपचार के
लिए उपचार किट रखने के सख्त निर्देश हैं. मेडिकल किट रेडक्रास से खरीदी की
जानी होती है. यही नहीं स्टॉफ को इसका प्रशिक्षण भी दिया जाता है, मगर
यहां ऐसा कुछ नहीं मिला. चोटिल हुआ छात्र ऐसे ही घंटों बैठा रहा और उसे
अस्पताल भेज दिया गया, जिससे वह परीक्षा से वंचित हो गया.
इस मामले
में हायर सेकेंडरी स्कूल कोंडागांव की प्रिंसिपल चंद्रकुमारी कोर्राम ने
बताया, कई राउंड में परीक्षार्थियों के दस्तावेज चेक किए जाते हैं, क्योंकि
छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक है, इसलिए अकेले देख पाना संभव नहीं है.
अलग-अलग कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी. इन छात्रों ने ओरिजिनल आधार
कार्ड नहीं लाए थे और समय पर नहीं पहुंचने की वजह से इन्हें अंदर प्रवेश
नहीं दिया गया. घायल छात्र को उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया था, क्योंकि
यहां पर व्यवस्था नहीं थी.
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