रायपुर । झारखंड शराब घोटाला मामले में ACB की टीम ने छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को गिरफ्तार किया है। सिद्धार्थ सिंघानिया ...
रायपुर
। झारखंड शराब घोटाला मामले में ACB की टीम ने छत्तीसगढ़ के कारोबारी
सिद्धार्थ सिंघानिया को गिरफ्तार किया है। सिद्धार्थ सिंघानिया सुमित
फैसिलिटीज मैनपावर सप्लाई कंपनी के मालिक हैं। इससे पहले झारखंड ACB ने
सिंघानिया को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया था, इसके बाद जांच एजेंसी ने
कोर्ट से उनके खिलाफ वारंट लिया। पिछले दिनों झारखंड एसीबी कोर्ट ने
गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इससे पहले, झारखंड के पूर्व IAS अमित प्रकाश
और IAS विनय चौबे को गिरफ्तार किया गया था। झारखंड में 450 करोड़ का शराब
घोटाला हुआ है, जिसकी साजिश रायपुर में रची गई थी।
झारखंड में
छत्तीसगढ़ की चार प्लेसमेंट एजेंसियों को मैनपावर सप्लाई का काम मिला था।
इनमें सुमित फैसिलिटीज, ईगल हंटर सॉल्यूशंस, एटूजेड इंफ्रा सर्विसेज और
प्राइम वन शामिल है। इन सभी को विनय चौबे के कार्यकाल में काम मिला था।
आरोप है कि, सिद्धार्थ सिंघानिया का उत्पाद विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव
विनय कुमार चौबे से बेहतर रिश्ता था, जिसकी बदौलत उन्हें झारखंड में काम
मिला। हालांकि एक साल के भीतर ही अनियमितता के आरोप में छत्तीसगढ़ की
प्लेसमेंट एजेंसियों को काम से हटा दिया गया था। यह भी आरोप है कि साजिश के
तहत झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल के आधार पर शराब की खुदरा बिक्री कराई गई।
इसमें सिंघानिया की अहम भूमिका थी।
छत्तीसगढ़ में जिस पैटर्न पर
आबकारी विभाग में बड़ा घोटाला हुआ, उसी तर्ज पर झारखंड में शराब घोटाला
हुआ। इस बात का खुलासा छत्तीसगढ़ ACB- EOW की ओर से 7 सितंबर को दर्ज की गई
FIR से हुआ था। छत्तीसगढ़ में दर्ज इस FIR में झारखंड के CM हेमंत सोरेन
के सचिव रहे चुके IAS विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी
गजेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है। दोनों अफसरों पर रायपुर EOW ने धोखाधड़ी
और आपराधिक षड्यंत्र रचने की धाराओं में नया केस दर्ज किया था। वहीं
छत्तीसगढ़ के लिकर सिंडिकेट से जुड़े सभी लोगों के नाम भी सामने आए हैं। झारखंड के पावरफुल अफसर रहे हैं आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे। वे तत्कालीन आबकारी सचिव रहे।
आर्थिक
अपराध अन्वेषण और एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से यह FIR दर्ज की गई थी।
इसमें बताया गया है कि तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति
त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट झारखंड के अधिकारियों के साथ मिले। इन सभी ने
मिलकर साजिश के तहत झारखंड की आबकारी नीति में फेरबदल किया। इसके बाद राज्य
में देशी और विदेशी शराब का टेंडर भी सिंडिकेट के लोगों को दिलवाया।
झारखंड में बिना हिसाब की डुप्लीकेट होलोग्राम लगी देशी शराब की बिक्री की
गई। साथ ही विदेशी शराब की सप्लाई का काम एफ.एल.10 ए लाइसेंस के रूप में
नियम बनाकर अपने करीबी एजेंसियों को दिलाया। इसके बाद उन कंपनियों से
करोड़ों रुपए का अवैध कमीशन लिया। इससे करोड़ों रुपयों की अवैध कमाई की गई।
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