भिलाई : देश की आन-बान और शान के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूत बलिदानी नायक कौशल यादव का नाम आते ही कारगिल युद्ध और विजय द...
भिलाई
: देश की आन-बान और शान के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूत
बलिदानी नायक कौशल यादव का नाम आते ही कारगिल युद्ध और विजय दिवस की याद
लोगों के जेहन में छा जाती है। भिलाई ही नहीं छत्तीसगढ़वासियों को बलिदानी
कौशल पर गर्व है जिसने बलिदान होने से पहले पांच पाकिस्तानी सैनिकों को मौत
के घाट उतार दिया था। उसकी इस अद्वितीय वीरता, कर्तव्यनिष्ठा व बलिदान के
लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
कारगिल विजय दिवस
26 जुलाई के ठीक एक दिन पहले 25 जुलाई 1999 को कौशल बलिदान हुए थे।
शुक्रवार को 27 साल पूरे हो गए, लेकिन आज भी वे नई पीढ़ियों के लिए
प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
बता दें कि भिलाई में प्रारंभिक शिक्षा
पूरी करने के बाद मात्र 19 वर्ष की आयु में भारतीय सेना की पैराशूट
रेजिमेंट में भर्ती होकर देशसेवा का मार्ग चुनने वाले कौशल यादव को बचपना
से ही फौज में जाने का शौक था। उनकी लगन, बहादुरी और समर्पण ने उन्हें सेना
के विशेष बल 9 पैरा (स्पेशल फोर्सेस) तक पहुंचाया, जो भारतीय सेना की सबसे
पुरानी और विशिष्ट पैरा एसएफ इकाइयों में से एक है।
आपरेशन विजय के
तहत 1999 में जब पाकिस्तान ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ की, तब नायक कौशल
यादव को द्रास सेक्टर में मोर्चा संभालने के लिए तैनात किया गया था। 25
जुलाई 1999 को उन्हें जुलु टॉप जैसे अत्यंत दुर्गम और रणनीतिक बिंदु को
दुश्मन से मुक्त कराने का जिम्मा सौंपा गया था।
बता दें कि यह चोटी
समुद्र तल से 5100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित थी, जहां तक पहुंचने के लिए न तो
सीधा रास्ता था और न ही मौसम अनुकूल। 15 डिग्री की कड़ाके की ठंड, खड़ी
चट्टानें थी। बावजूद नायक कौशल यादव ने दुश्मन पर सीधा हमला बोला था। अपनी
जान की परवाह किए बिना दुश्मन की गोलीबारी वाली स्थिति पर धावा बोला,
ग्रेनेड फेंकने के साथ ही नजदीकी फायरिंग करते हुए पांच पाकिस्तानी सैनिकों
को मौत के घाट उतारा था।
इस भीषण मुकाबले में नायक कौशल यादव स्वयं
भी गंभीर रूप से घायल हो गए और भारत माता के लिए एक अमिट शौर्य गाथा बनते
हुए बलिदान हो गए।
बलिदानी कौशल यादव की मां धनवंता देवी अब शरीर के
कमजोर हो गई है, बावजूद अपने बेटे के स्मारक स्थल पर हर साल पहुंचती हैं।
वे कहती हैं ऐसा बेटा पाकर मैं क्या हर मां धन्य हो जाएगी। उन्होंने बताया
कि कौशल बचपने से ही फौजी सीरियल देखता था। उसका लगाव और उसकी लगन व मेहनत
ने उसे इस मुकाम पर पहुंचाया कि हम सभी को आज उस पर गर्व है।
बलिदानी
कौशल यादव के पुत्र प्रतीक यादव बताते हैं कि जब पिता मातृभूमि की रक्षा
के लिए बलिदान हुए तो मैं मां के गर्भ में था। मुझे पिता का गौरव व शौर्य
ही उनके साया के रूप में मिला।



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