बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पुलिस हिरासत में हुई मौत के एक गंभीर मामले में ऐतिहासिक टिप्पणी करते हुए कहा कि हिरासत में मौत न सिर्फ...
बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पुलिस हिरासत में हुई मौत के एक गंभीर मामले में
ऐतिहासिक टिप्पणी करते हुए कहा कि हिरासत में मौत न सिर्फ कानून का उल्लंघन
है, बल्कि यह लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर गहरा आघात है। न्यायमूर्ति संजय
के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी
करते हुए दोषी थाना प्रभारी सहित चार पुलिसकर्मियों की उम्रकैद की सजा को
घटाकर 10 साल का कठोर कारावास सुनाया है। यह मामला वर्ष 2016 का है, जब
जांजगीर-चांपा जिले के नरियरा गांव के निवासी सतीश नोरगे को पुलिस ने शराब
के नशे में हंगामा करने के आरोप में मुलमुला थाने में हिरासत में लिया था।
हिरासत के दौरान उसकी मौत हो गई और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर 26
चोटों के निशान मिले। इस घटना से पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया था।
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