रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आरोपी बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को आज प्रवर्तन निदेशालय (...
रायपुर।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आरोपी बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री
भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कस्टोडियल
रिमांड समाप्त होने के बाद कोर्ट में पेश किया गया। जहां सुनवाई के बाद
कोर्ट ने उन्हें तीसरी बार 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है।
अब इस मामले में 6 सितंबर को अगली सुनवाई होगी।
बचाव पक्ष के वकील
फैजल रिजवी ने बताया कि चैतन्य बघेल की कस्टोडियल रिमांड समाप्त होने के
पश्चात आज न्यायालय में पेश किया गया था। ईडी ने चैतन्य बघेल की 14 दिनों
की न्यायिक रिमांड का आवेदन लगाया था, जिसे माननीय विशेष न्यायालय ने
स्वीकार करते हुए चैतन्य को 6 सितंबर तक की न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का
फैसला सुनाया है।
बता दें कि 19 अगस्त को विशेष कोर्ट ने ED के
आवेदन पर चैतन्य को 5 दिन की कस्टोडियल रिमांड पर भेजा था। दरअसल, ईडी ने
अदालत में दलील दी थी कि जांच के दौरान नए तथ्य सामने आए हैं और चैतन्य
बघेल से पूछताछ जरूरी है। इससे पहले सोमवार 18 अगस्त को उनकी 14 दिन की
न्यायिक रिमांड पूरी होने पर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था। उस दौरान
अदालत ने उन्हें एक दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था।
21
जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) रायपुर जोनल कार्यालय की ओर से प्रेस नोट
में दी गई जानकारी के अनुसार, ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के
पुत्र चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन 18 जुलाई को भिलाई निवास से धन शोधन
निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत गिरफ्तार किया है। शराब घोटाले की जांच
ईडी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण
अधिनियम, 1988 के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू रायपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार
पर शुरू की थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस घोटाले के कारण
प्रदेश के खजाने को भारी नुकसान हुआ और करीब 2,500 करोड़ रुपये की अवैध
कमाई (पीओसी) घोटाले से जुड़े लाभार्थियों की जेब में पहुंचाई गई।
ईडी
की जांच से पता चला है कि चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये की पीओसी
प्राप्त हुई थी। उन्होंने उक्त पीओसी को मिलाने के लिए अपनी रियल एस्टेट
फर्मों का इस्तेमाल किया था। यह पता चला है कि उन्होंने पीओसी की उक्त नकद
राशि का उपयोग अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के विकास में किया था। पीओसी का
उपयोग उनके प्रोजेक्ट के ठेकेदार को नकद भुगतान, नकदी के खिलाफ बैंक
प्रविष्टियों आदि के माध्यम से किया गया था। उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों
के साथ भी मिलीभगत की और अपनी कंपनियों का उपयोग एक योजना तैयार करने के
लिए किया जिसके अनुसार उन्होंने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के कर्मचारियों के
नाम पर अपने “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैटों की खरीद की आड़ में
अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। बैंकिंग ट्रेल है जो इंगित
करता है कि लेन-देन की प्रासंगिक अवधि के दौरान, त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने
अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त किया।
इसके
अलावा, उन पर शराब घोटाले से उत्पन्न 1000 करोड़ रुपये से अधिक के पीओसी
(POC) को संभालने का भी आरोप है। वह छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के
तत्कालीन कोषाध्यक्ष को पीओसी हस्तांतरित करने के लिए अनवर ढेबर और अन्य के
साथ समन्वय करते थे। ईडी द्वारा की गई जांच से पता चला है कि इस शराब
घोटाले से प्राप्त धनराशि को आगे निवेश के लिए बघेल परिवार के प्रमुख
सहयोगियों को भी सौंप दिया गया था। इस धनराशि के अंतिम उपयोग की आगे जांच
की जा रही है।
ईडी ने इससे पहले पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अरविंद
सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, ITS अरुण पति त्रिपाठी और पूर्व
मंत्री और वर्तमान विधायक कवासी लखमा को इस मामले में गिरफ्तार किया था।
फिलहाल, मामले में आगे की जांच जारी है।
गौरतलब है कि पूर्व सीएम
भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में ED द्वारा उनकी
गिरफ्तारी और हिरासत की कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका लगाई थी।
याचिका में चैतन्य ने कहा था कि उनकी हिरासत गैरकानूनी है और कानूनी
प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका
खारिज करते हुए उन्हें पहले हाई कोर्ट जाने की सलाह दी थी। इसके बाद
उन्होंने बिलासपुर हाई कोर्ट में ED की कार्रवाई के खिलाफ याचिका लगाई, जिस
पर 12 अगस्त को हाई कोर्ट ने सुनवाई की और ईडी को नोटिस जारी कर 26 अगस्त
तक जवाब मांगा है।
चैतन्य बघेल के वकील ने कोर्ट में बताया कि
चैतन्य को जेल में पीने के लिए साफ पानी तक नहीं मिल रहा। जिस पर कोर्ट ने
जेल अधीक्षक को निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को
होगी।



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