भिलाई । सेल-बीएसपी के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र देश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थानो मे शुमार हो गया । संस्थान में ईडी मे...
भिलाई । सेल-बीएसपी के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र देश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थानो मे शुमार हो गया । संस्थान में ईडी मेडिकल डॉ संजीव इस्सर, सीएमओ डॉ एम रवींद्रनाथ और डॉ प्रमोद बिनायके के मार्गदर्शन तथा विभागाध्यक्ष डॉ संबिता पंडा एवं प्रभारी (एनआईसीयू), डॉ सुबोध कुमार साहा के नेतृत्व में इस वर्ष 15 से 21 नवंबर के मध्य राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया गया।
नवजात शिशु के गहन चिकित्सा इकाई तथा शिशु रोग विभाग की टीम के सदस्यों ने जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र के विभिन्न वर्गों और पीजी कॉलेज ऑफ नर्सिंग में जागरूकता कार्यक्रम के विविध आयोजन किए।
जागरूकता जगाने हेतु विविध आयोजन
विदित हो कि देश में हर साल 15 से 21 नवंबर तक ”नवजात शिशु देखभाल सप्ताह” मनाया जाता है। सप्ताह मनाने का उद्देश्य बच्चे के अस्तित्व और विकास के लिए नवजात शिशु की देखभाल के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
नवजात शिशु के गहन चिकित्सा इकाई एवं शिशु रोग विभाग ने नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने हेतु जागरूकता जगाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया। डॉ सुबोध कुमार साहा ने बताया कि सभी नवजात शिशुओं को बीमारी के जोखिम को कम करने और उनकी वृद्धि और विकास को अधिकतम करने के लिए देखभाल की आवश्यकता होती है। गर्मी, सामान्य श्वास, माँ का दूध, और संक्रमण की रोकथाम की आवश्यकता होती है। इन्हीं आवश्यकताओं के प्रति लोगों को जागरूकता जगाने हेतु बीएसपी के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र में भी 15 से 21 नवंबर तक ”नवजात शिशु देखभाल सप्ताह” में विविध आयोजनों को अंजाम दिया गया।
नवजात शिशु की माताओं को किया जागरूक
इन कार्यक्रमों के तहत नवजात शिशु की माताओं को सहीं रूप से ब्रेस्ट फीडिंग तकनीक से अवगत कराया गया। साथ ही उन्हें नवजात शिशु को गर्म करने रखने की प्रक्रिया का व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया। इसके अतिरिक्त नवजात शिशु की माताओं एवं संभावित माताओं को भी नवजात शिशु के प्राथमिक देखभाल के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त नवजात शिशु को संक्रमण से बचाने के उपाय साझा किये गये।
मेडिकल छात्रों व युवा डॉक्टरों को किया प्रशिक्षित
जागरूकता जगाने के इस क्रम में मेडिकल स्टूडेंट्स, नर्सिंग स्टाफ तथा युवा डॉक्टरों के लिए भी अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किये गये। जागरूकता के इन आयोजनों में इन्हें नवजात शिशु देखभाल, संक्रमण की रोकथाम तथा चिकित्सा की समग्र जानकारी उपलब्ध कराई गयी। जिससे जन्म के समय नवजात शिशु की समुचित देखभाल व चिकित्सा की जा सके जिससे नवजात शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम किया जा सके।
देश में नवजात शिशु दर को एकल अंक में लाने की कवायद
विदित हो कि एक बच्चे का जीवित रहना पूरी तरह से उसकी मां और अन्य देखभाल करने वालों पर निर्भर है। इसलिए जन्म के तुरंत बाद सभी नवजात शिशुओं की उचित देखभाल करना महत्वपूर्ण है। यह देखभाल कई नवजात आपात स्थितियों को भी रोकेगी। चीन व अन्य विकसित देशों ने नवजात शिशु केयर पर जोर देते हुए नवजात शिशु दर को एकल अंक में लाने में सफलता अर्जित की है। इसे ध्यान में रखते हुए भारत में भी नवजात शिशु दर को एकल अंक में लाने के प्रयास तेज कर दिये है। इन बुनियादी जरूरतों को देखते हुए बीएसपी अस्पताल ने जागरूकता कार्यक्रम डिजाइन किया है।
भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में शामिल है जवाहरलाल नेहरू अस्पताल
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में देश में नवजात मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित शिशुओं, को एकल अंक तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। केरल भारत का एकमात्र राज्य है जिसने एकल अंक में नवजात मृत्यु दर हासिल की है। बीएसपी का जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में शामिल है जिसने नवजात मृत्यु दर को एकल अंक तक लाने में सफल रहा है। वर्तमान में बीएसपी का जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र में नवजात मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 7 है, जो भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के बराबर है।
योगदान देने वाली टीम के सदस्य
सेल-बीएसपी के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र में ईडी मेडिकल डॉ संजीव इस्सर, सीएमओ डॉ एम रवींद्रनाथ और डॉ प्रमोद बिनायके के मार्गदर्शन तथा विभागाध्यक्ष डॉ संबिता पंडा व नवजात शिशु के गहन चिकित्सा इकाई के प्रभारी (एनआईसीयू), डॉ सुबोध कुमार साहा के नेतृत्व में राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल सप्ताह को सफल बनाने में शिशु रोग विभाग के प्रमुख डॉ संबिता पांडा, डॉ नोहर सिंह ठाकुर, डॉ संजीवनी पटेल, डॉ मीता सचदेवा, डॉ नूतन वर्मा, डॉ कौशिक किशोर, डॉ वृंदा साखरे, डॉ माला चौधरी, डॉ सबस्मिता, डॉ रुचिका ताम्रकर तथा नर्सिंग स्टाफ ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
क्यों है यह नवजात अवधि महत्वपूर्ण
शिशु के जीवन के पहले 28 दिन की नवजात अवधि, बच्चे के जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण अवधि है क्योंकि इस अवधि में बचपन के दौरान किसी भी अन्य अवधि की तुलना में प्रति दिन मृत्यु का सबसे अधिक जोखिम होता है। जीवन का पहला महीना भी आजीवन स्वास्थ्य और विकास के लिए एक आधारभूत अवधि है। स्वस्थ बच्चे ही स्वस्थ वयस्कों के रूप में विकसित होते हैं जो अपने समुदायों और समाजों में योगदान दे सकते हैं। ज्ञात हो कि जीवन के पहले 28 दिनों में हर साल पूरे विश्व में 26 लाख तथा भारत में 7.5 लाख नवजात शिशुओं की मृत्यु होती हैं। यही वजह है कि नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए विशेष प्रयास के तहत सम्बद्ध लोगों को जागरूक किया जाता है। इसी उद्देश्य को देखते हुए बीएसपी के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र ने भी जागरूकता जगाने हेतु विविध कार्यशाला, प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा शैक्षणिक कार्यक्रम का आयोजन कर रही है।
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