रायपुर। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा क्षेत्रों में कांकेर ऐसी सीट है, जहां चुनाव हमेशा ही दिलचस्प होता है। इसका कारण यहां के प्रत्याशी और जन...
रायपुर।
छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा क्षेत्रों में कांकेर ऐसी सीट है, जहां चुनाव
हमेशा ही दिलचस्प होता है। इसका कारण यहां के प्रत्याशी और जनता का मूड है।
कांकेर सीट पर केवल दो नेताओं ने एक से अधिक बार जीत दर्ज की है, जबकि
अन्य प्रत्याशियों को कभी भी जनता ने दोबारा मौका नहीं दिया है। कांकेर सीट
में अब तक हुए सभी लोकसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस पार्टी के बीच ही
चुनावी टक्कर रही है। इस बार भी इन्हीं दो पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला
है। बस्तर से अलग होकर कांकेर जिले के गठन के बाद से यहां की लोकसभा सीट पर
अब तक स्थानीय प्रत्याशी पर ही मतदाताओं ने विश्वास जताया है। यही कारण है
कि भाजपा ने भोजराज नाग तो कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को टिकट दिया है।
लोकसभा चुनाव-2019 में बीरेश ठाकुर को भाजपा के माेहन मंडावी से महज सात
हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष- 1998 में कांकेर जिला गठन
के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांकेर संसदीय सीट पर कांग्रेस का खाता नहीं
खुल पाया है। लेकिन, विगत विधानसभा चुनाव परिणाम को देखते हुए यहां
मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। कांकेर लोकसभा सीट में आठ विधानसभा
क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें कांकेर, अंतागढ़, केशकाल, सिहावा, संजारी बालोद,
डौंडीलोहारा, गुंडरदेही और भानुप्रतापपुर शामिल हैं। कांकेर, अंतागढ़ और
केशकाल सीट पर भाजपा के विधायक हैं, जबकि पांच सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
है। कांकेर लोकसभा से सर्वाधिक बार चुनाव जीतने का रिकार्ड कांग्रेस के
अरविंद नेताम के नाम रहा है। उन्होंने
1971, 1980, 1984, 1989 और 1991 में चुनाव जीतकर देश की महापंचायत संसद
में प्रतिनिधित्व किया। यहां 1996 में कांग्रेस के छबीला नेताम कांग्रेस के
आखिरी सांसद थे। उसके बाद 1998 से लेकर 2014 तक लगातार चार बार सोहन पोटाई
को कांकेर के मतदाताओं का साथ मिला और वे सांसद रहे। वर्ष-2014 में हुए
चुनाव में विक्रम उसेंडी और 2019 में मोहन मंडावी को जीत मिली। गौरतलब है
कि कांकेर सीट के लिए दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। यहां से 10
उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है।
No comments