रायपुर। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की मांग पर किताबें डिपो से निकलीं। फिर कबाड़ी की दुकान पर पहुंच गईं थी। रायपुर के सिलयारी में रद्दी म...
रायपुर। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की मांग पर किताबें डिपो से निकलीं। फिर कबाड़ी की दुकान पर पहुंच गईं थी। रायपुर
के सिलयारी में रद्दी में 2 लाख किताब बेचने के मामले में दोषी अफसरों पर
मामले की जांच रिपोर्ट आने के 70 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है। अपर
मुख्य सचिव रेणु पिल्ले की जांच रिपोर्ट 3 दिसंबर को आ गई थी। इसमें
उन्होंने धमतरी, सूरजपुर, जशपुर और राज 1045 पेज की इस रिपोर्ट में दो
आईएएस अफसर सहित 34 लोगों के बयान लिए गए। इसमें यह साफ पाया गया कि दो लाख
सरकारी किताबों को रद्दी के भाव में बेचा गया। इसमें एक लाख किताबें
2024-25 सत्र की हैं, बाकी 2014 से 2023 के बीच की हैं। जिला शिक्षा
अधिकारी कार्यालय की मांग पर किताबें डिपो से निकलीं। फिर कबाड़ी की दुकान
पर गईं। दो लाख सरकारी किताबों को रद्दी के भाव में बेचा गया। ट्रकों को
ट्रेस करने के लिए रेणु पिल्ले ने जीएसटी की मदद भी ली। इसमें गाड़ियों को
रास्ता बदलकर जाते हुए पकड़ा गया। पिल्ले ने कबाड़ियों, ट्रांसपोर्टर और
पेपर मिल मालिक पर भी एफआईआर की सिफारिश की है, लेकिन डीपीआई में रिपोर्ट
दबा दी और अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई। जांच में पाया गया कि 35 दिन में
पेपर मिल तक 80 टन किताबें पहुंचाई गईं। इस पर रियल बोर्ड एंड पेपर मिल के
मालिक महेश पटेल और विनोद रूढानी ने जांच समिति को बताया कि उनके पास हर
साल निगम की किताबें आती हैं। लेकिन हम सत्र नहीं देखते। हमने नहीं देखा कि
2024-25 की किताबें आई हैं। 35 दिन में पेपर मिल तक 80 टन किताबें
पहुंचाई गईं।
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