सुकमा: जिले के माओवाद प्रभावित इलाकों में कई ऐसे गांव है जहां आजादी के बाद पहली बार शान से तिरंगा लहराया गया, जो कभी काले झंडे और माओवा...
सुकमा:
जिले के माओवाद प्रभावित इलाकों में कई ऐसे गांव है जहां आजादी के बाद
पहली बार शान से तिरंगा लहराया गया, जो कभी काले झंडे और माओवादियों के
फरमान सुना करते थे वहां तिरंगे को सलाम किया गया, देशभक्ति के नारों और
गानों से गूंजा उठा। ये सब संभव हुआ है सुरक्षा बलों के प्रयास से, जहां
कैंप खुले है वहा आजादी के मायने विकास में बदल दिए गए। सड़के बन रही है,
नेटवर्क स्थापित हो रहा है, बिजली की रोशनी से ग्रामीणों की उम्मीदें चमक
रही है। 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बस्तर संभाग ते माओवादी क्षेत्र
में भी आजादी का जश्न मनाया गया। कभी नक्सलवाद की काली छाया में घिरे
तुमलपाड़ और पूवर्ती गांव में उत्सव सा माहौल दिखा। ये वही गांव हैं जहां
की फिजाओं में कभी सन्नाटा और खौफ पसरा रहता था। बंदूक और बारुद के शोर से
बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक डरे सहमे रहते थे, लेकिन अब समय बदल चुका है। जब
से केंद्र सरकार ने पूरे भारत को माओवाद मुक्त बनाने का अभियान छेड़ा है,
तब से माओवाद प्रभावित के गांवों में विकास की बयार बही है। अब बंदूक और
बारुद की जगह आजादी और तरक्की ने ले ली है।



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