रायपुर। छत्तीसगढ़ में सिकल सेल एनीमिया अब सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि आदिवासी और ग्रामीण इलाकों की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका ह...
रायपुर।
छत्तीसगढ़ में सिकल सेल एनीमिया अब सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि आदिवासी
और ग्रामीण इलाकों की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। बस्तर और
सरगुजा संभाग में इसका संक्रमण ज्यादा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक
छत्तीसगढ़ देश में सिकल सेल के मामलों में दूसरे स्थान पर है और प्रदेश की
लगभग 9.5 प्रतिशत आबादी इससे प्रभावित या वाहक है। ग्राउंड पर हालात इससे
भी ज्यादा गंभीर हैं। बस्तर के कई गांवों में हर 100 बच्चों में एक से दो
बच्चे सिकल सेल से पीड़ित जन्म ले रहे हैं। जिला अस्पतालों में दर्द से
कराहते बच्चे, खून की कमी से जूझते युवा और बार-बार बुखार से परेशान
महिलाएं आम दृश्य बन चुके हैं। ग्रामीण बताते हैं कि बच्चों को महीने में
दो–तीन बार अस्पताल ले जाना पड़ता है, लेकिन नियमित इलाज और दवा हर जगह
उपलब्ध नहीं है।



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