बिलासपुर। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम बच्चों में पाया जाने वाली एक गंभीर बीमारी है, जो कि भारत के कई राज्यों में समय-समय पर एपीडेमिक क...
बिलासपुर।
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम बच्चों में पाया जाने वाली एक गंभीर बीमारी
है, जो कि भारत के कई राज्यों में समय-समय पर एपीडेमिक के रूप में पाया
जाता है। इससे अब छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं रह गया है। इस तरह के बीमारी से
पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
बता दें कि पिछले
दो सालों में सिम्स के शिशरोग विभाग में इस से संबंधित 133 मरीज भर्ती हुए।
जिसमें सबसे ज्यादा 1 वर्ष से कम आयु के 82, 1 से 5 वर्ष के 29 और 5 वर्ष
के ऊपर 22 बच्चे भर्ती हो चुके है।
यह बातें सिम्स (छत्तीसगढ़
आयुर्विज्ञान संस्थान) के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ. राकेश नहरेल ने
बताते हुए कहा कि अब इस रोग को लेकर सिम्स शोध शुरू कर दिया गया है। डॉ.
नहरेल ने बताया कि यह बच्चें प्रदेश के कई जिलों से सिम्स रिफर होकर
शिशुरोग विभाग में भर्ती हुए।
इसमें सबसे ज्यादा बच्चें 61 प्रतिशत
गौरेला-पेंड्रा मरवाही जिला के थे। साथ ही बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा,
चांपा, जांजगीर, शक्ति, बलौदाबजार, रायपुर आदि जिलों के भी बच्चे यहां
भर्ती किए गए है। इन बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस संड्रोम के ज्यादातर
कारणों का पता नहीं चल पा रहा है। यह चिंता का विषय है। क्योंकि इस बीमारी
से मरने वालों की संख्या लगभग 51 प्रतिशत है।
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